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माँ दुर्गे

माँ दुर्गे का आ गया डोला, 

अंबे नौ दिन पधारें।

मोहिनी मूरत लाल चोला, 

अंबे नौ दिन पधारें।


वृषभ सवार माँ शैलजा आईं,

दुष्टदलन माँ त्रिशूल लाईं,

तन-मन है शक्ति का शोला, अंबे…


माँ ब्रह्मचारिणी पैदल आईं,

कठिन तपस्या लीन है माई,

वर रूप मिल गए भोला, अंबे…


सिंह सवार चन्द्रघण्टा आई,

माथे छवि चंदा सुखदाई, 

शांति स्वरूप रस घोला, अंबे…


सिंह विराज कूष्मांडा आई,

मंद-मंद मुस्काती आईं,

उदर ब्रह्माण्ड का गोला, अंबे…


माँ स्कंदा सिंह पर आईं,

सुत स्कंद को अंक में लाईं,

देख स्वरूप मन डोला, अंबे…


सिंह सवार कात्यायनी आईं,

मोक्ष मुक्ति वरदान ले लाईं,

कनक सा गात चमकीला, अंबे…


गर्दभ सवार कालरात्रि आईं,

असुर निकंदन है महामाई,

गले में मुण्डों की माला, अंबे…


वृषभारूढ़ महागौरी आई,

दुख भक्तों के हरने आई,

तप से हुआ रूप काला, अंबे…


सिद्धिदात्री माँ सिद्धि लाई,

सिंह सवार वैभव सुखदाई,

आशिष पाएं भक्त टोला, अंबे…


नव रूपों में तेज समाया,

मैया "श्री" ने जगत बनाया,

नाचे मयूर मन भोला, अंबे…


स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"

धौलपुर (राजस्थान) 

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13 Comments

Punam verma

09-Oct-2023 08:17 AM

Nice

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Abhinav ji

09-Oct-2023 07:50 AM

Nice

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Gunjan Kamal

08-Oct-2023 01:51 PM

👏👌

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Sarita Shrivastava "Shri"

08-Oct-2023 04:38 PM

🙏🙏

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